Kernel Kya Hai? और यह कितने प्रकार के होते है {2024}

Kernel Kya Hai

Kernel Kya Hai: दोस्तों आज के पोस्ट के माध्यम से आपको बताने वाले हैं कि Kernel Kya Hai और इसी के साथ बताने वाला हूं कि करनाल कितने प्रकार के होते हैं अगर आप यह जानना चाहते हैं कि कर्नल क्या है और कितने प्रकार के होते हैं तो आप इस पोस्ट को ध्यान से पढ़े ताकि आपको अच्छे तरह से समझ में आ सके मैं आपको बहुत ही सरल तरीके से बताया है तो चलिए जानते हैं Kernel Kya Hai.

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Table of Contents

Kernel क्या है? (What is kernel)

कर्नेल ऑपरेटिंग सिस्टम का दिल होता है. यह वही कार्यक्रम है जो कंप्यूटर को चलाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है. कर्नेल कंप्यूटर के हार्डवेयर को मैनेज करता है, जैसे रैम और सीपीयू. यह विभिन्न अनुप्रयोगों (apps) को आपस में लड़ने से रोकता है. उदाहरण के लिए, यह तय करता है कि कौन सा एप सीपीयू का उपयोग कर सकता है. यह सुनिश्चित करता है कि सब कुछ सुचारु रूप से चले.

Kernel, Operating System का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह Operating System का आधार है और कंप्यूटर के हार्डवेयर तक message पहुंचाने का काम करता है। इसे आप Computer के लिए जरूरी drivers का समूह भी समझ सकते हैं, जिसमें सभी जरूरी drivers या resources मौजूद रहते हैं।

Kernel कितने प्रकार के होते हैं

Kernel चार प्रकार के होते हैं:-

1. Monolithic kernel

नोलिथिक कर्नेल ऑपरेटिंग सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच एक पुल का काम करता है। यह हार्डवेयर को नियंत्रित करता है और सॉफ्टवेयर को चलाने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करता है।

मोनोलिथिक कर्नेल की कुछ प्रमुख विशेषताएं

  • यह बहुत ही लोकप्रिय है और इसका उपयोग कई ऑपरेटिंग सिस्टम में किया जाता है, जैसे कि लिनक्स, यूनिक्स और मैक ओएस एक्स।
  • यह एक उच्च-स्तरीय वर्चुअल इंटरफ़ेस प्रदान करता है जो सॉफ्टवेयर को हार्डवेयर के साथ सीधे बातचीत किए बिना चलाने की अनुमति देता है।
  • यह डायनामिक सॉफ्टवेयर को चलाने में सक्षम है, जिसका अर्थ है कि सॉफ्टवेयर को चलाने के लिए इसे पहले से इंस्टॉल नहीं करना पड़ता है।
  • इसमें डिवाइस ड्राइवरों को मॉड्यूल के रूप में अलग से जोड़ा जा सकता है।

2. Microkernel

Microkernel एक तरह का Operating System (OS) kernel है जो कम से कम resources का इस्तेमाल करके OS को चलाने के लिए जरूरी काम करता है। इसे “minimal kernel” भी कहा जाता है। Microkernel में, OS के ज़रूरी काम जैसे memory management, process scheduling, और inter-process communication (IPC), kernel space में किए जाते हैं। बाकी काम, जैसे device drivers, file systems, और user interfaces, user space में किए जाते हैं।

Microkernel के कुछ फायदे हैं l

  • Modularization: Microkernel OS को modular बनाता है, जिससे OS के अलग-अलग parts को अलग-अलग तरीके से develop और test किया जा सकता है।
  • Security: Microkernel OS को ज़्यादा secure बनाता है, क्योंकि kernel space में कम code होता है।
  • Extensibility: Microkernel OS को extendable बनाता है, क्योंकि नए features को user space में add किया जा सकता है।

Microkernel के कुछ नुकसान भी हैं

  • Performance: Microkernel OS, monolithic kernel OS से थोड़ा slow हो सकता है, क्योंकि IPC के लिए extra overhead होता है।
  • Complexity: Microkernel OS को develop करना और maintain करना monolithic kernel OS से ज़्यादा complex हो सकता है।

3. Hybrid Kernel

Hybrid Kernel, Monolithic और Microkernel का मिश्रण है। यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला kernel है, जो Microsoft Windows XP, 7, 8, 10 जैसे बड़े commercial operating systems में भी उपयोग होता है।

यह कैसे काम करता है

  • Monolithic भाग: यह kernel का मुख्य भाग है जो CPU, memory, processes, devices आदि को नियंत्रित करता है। यह तेज़ और कुशल होता है।
  • Microkernel भाग: यह kernel का छोटा भाग है जो basic OS services जैसे IPC (inter-process communication) और security प्रदान करता है। यह modular और सुरक्षित होता है।

Hybrid kernel के फायदे

  • तेज़ और कुशल: Monolithic भाग के कारण, यह kernel तेज़ और कुशल होता है।
  • Modular और सुरक्षित: Microkernel भाग के कारण, यह kernel modular और सुरक्षित होता है।
  • Expandable: यह kernel easily expandable है, जिसका अर्थ है कि इसमें नए features और functionality आसानी से जोड़े जा सकते हैं।

Hybrid kernel के नुकसान

  • Monolithic भाग जटिल होता है: Monolithic भाग जटिल होता है, जिसके कारण kernel में bugs होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • Microkernel भाग थोड़ा धीमा होता है: Microkernel भाग थोड़ा धीमा होता है, जिसके कारण overall performance थोड़ा कम हो सकता है।

4. Nano kernel

Nano kernel एक तरह का ऑपरेटिंग सिस्टम कर्नेल है जो बहुत छोटा और कुशल होता है। यह माइक्रो कर्नेल से भी छोटा होता है और बहुत कम मात्रा में मेमोरी का उपयोग करता है। नैनो कर्नेल आमतौर पर कस्टमाइज्ड ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए बनाए जाते हैं, जिनका उपयोग विशेष उपकरणों या अनुप्रयोगों में किया जाता है।

नैनो कर्नेल के कुछ फायदे हैं

  • वे बहुत छोटे और कुशल होते हैं, इसलिए वे कम मेमोरी और प्रोसेसिंग शक्ति वाले उपकरणों पर चल सकते हैं।
  • वे बहुत तेज़ होते हैं, क्योंकि उन्हें कम काम करना होता है।
  • वे अधिक सुरक्षित होते हैं, क्योंकि उनके पास कम कोड होता है जिसके माध्यम से हमलावर घुसपैठ कर सकते हैं।

नैनो कर्नेल के कुछ नुकसान हैं

  • वे विकसित करना अधिक कठिन होते हैं, क्योंकि उन्हें बहुत कम संसाधनों के साथ काम करना होता है।
  • वे उतने सुविधा संपन्न नहीं होते हैं जितने कि अन्य प्रकार के कर्नेल।
  • वे सभी प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

Kernel कैसे काम करता है

  1. जब आप computer चालू करते हैं, तो BIOS kernel को load करता है।
  2. Kernel hardware को initialize करता है और memory management system को start करता है।
  3. Kernel process scheduler को start करता है, जो processes को run करने के लिए समय देता है।
  4. Kernel system calls को handle करता है, जो applications को hardware and software resources का उपयोग करने की अनुमति देते हैं।
  5. Kernel तब तक चलता रहता है जब तक आप computer बंद नहीं कर देते।

Kernel के मुख्य कार्य

Kernel के मुख्य कार्यों में शामिल होते हैं:

  1. प्रोसेस मैनेजमेंट (Process Management): Kernel यह सुनिश्चित करता है कि कौन-सा प्रोग्राम कब और कैसे रन होगा। वह CPU को विभिन्न कार्यों में बांटता है ताकि सभी प्रोग्राम सही समय पर काम कर सकें।
  2. मेमोरी मैनेजमेंट (Memory Management): Kernel कंप्यूटर की मेमोरी को मैनेज करता है। यह निर्धारित करता है कि किस प्रोग्राम को कितनी मेमोरी मिलनी चाहिए और कब किसी प्रोग्राम को मेमोरी से बाहर करना है।
  3. डिवाइस मैनेजमेंट (Device Management): Kernel विभिन्न इनपुट और आउटपुट डिवाइस जैसे कि कीबोर्ड, माउस, प्रिंटर, डिस्क आदि को नियंत्रित करता है। यह हार्डवेयर के साथ सीधे संवाद करता है और सॉफ़्टवेयर को हार्डवेयर से जोड़ता है।
  4. फ़ाइल सिस्टम मैनेजमेंट (File System Management): Kernel फ़ाइलों को व्यवस्थित और नियंत्रित करता है। यह फ़ाइलों को पढ़ने, लिखने और उनके डेटा को सुरक्षित रखने का कार्य करता है।
  5. सुरक्षा (Security): Kernel कंप्यूटर की सुरक्षा को बनाए रखने का काम भी करता है। यह सुनिश्चित करता है कि कोई अनधिकृत उपयोगकर्ता या प्रोग्राम सिस्टम तक पहुंच न सके।

Kernel के प्रकार

Kernel के विभिन्न प्रकार होते हैं जो उनके डिज़ाइन और कार्यक्षमता के आधार पर भिन्न होते हैं। प्रमुख प्रकार हैं:

  1. Monolithic Kernel (मोनोलिथिक कर्नेल): इस प्रकार का Kernel एक बड़ा कोड बेस होता है जिसमें सभी सेवाएं जैसे मेमोरी मैनेजमेंट, डिवाइस ड्राइवर्स, फ़ाइल सिस्टम, आदि शामिल होते हैं। यह कर्नेल अन्य कर्नेल की तुलना में तेज़ी से काम करता है, लेकिन यह थोड़ा जटिल होता है और डिबगिंग में मुश्किल हो सकता है। उदाहरण के लिए, Linux का कर्नेल मोनोलिथिक होता है।
  2. Microkernel (माइक्रोकर्नेल): माइक्रोकर्नेल छोटे आकार का होता है और इसमें केवल मुख्य सेवाएं जैसे CPU शेड्यूलिंग और इंटर-प्रोसेस कम्युनिकेशन ही होते हैं। यह सरल और अधिक मॉड्यूलर होता है, जिससे इसमें किसी भी गड़बड़ी को आसानी से ठीक किया जा सकता है। लेकिन यह मोनोलिथिक कर्नेल की तुलना में थोड़ा धीमा हो सकता है।
  3. Hybrid Kernel (हाइब्रिड कर्नेल): Hybrid Kernel में मोनोलिथिक और माइक्रोकर्नेल दोनों के गुण होते हैं। यह मोनोलिथिक कर्नेल की गति और माइक्रोकर्नेल की सुरक्षा और मॉड्यूलरिटी को जोड़ता है। Windows NT और macOS के कर्नेल Hybrid कर्नेल होते हैं।
  4. Exokernel (एग्जोकर्नेल): यह एक प्रयोगात्मक कर्नेल है जो परंपरागत कर्नेल से भिन्न है। इसमें हार्डवेयर संसाधनों को केवल न्यूनतम स्तर पर नियंत्रित किया जाता है और बाकी काम को सॉफ़्टवेयर पर छोड़ा जाता है। यह कर्नेल अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में उपयोग किया जाता है।

Kernel का महत्त्व

Kernel किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसका सही तरीके से काम करना पूरे सिस्टम की कार्यक्षमता और सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। Kernel की निम्नलिखित भूमिका होती है:

  1. सिस्टम के स्थायित्व को बनाए रखना: Kernel पूरे सिस्टम को स्थिर और संतुलित रखता है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी प्रोग्राम सही तरीके से रन हो रहे हैं और सिस्टम का सही उपयोग हो रहा है।
  2. सिस्टम संसाधनों का उचित प्रबंधन: Kernel CPU, मेमोरी, और अन्य हार्डवेयर संसाधनों का उचित वितरण करता है। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी प्रोग्राम या प्रोसेस अनावश्यक रूप से ज्यादा संसाधन न ले।
  3. सिस्टम की सुरक्षा: Kernel उपयोगकर्ता की पहचान और अधिकारों को नियंत्रित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्ता और प्रोग्राम ही सिस्टम तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं।

Kernel के विकास का इतिहास

Kernel का विकास समय के साथ हुआ है। सबसे पहले ऑपरेटिंग सिस्टम में बहुत ही साधारण कर्नेल होते थे। 1960 और 1970 के दशक में UNIX ऑपरेटिंग सिस्टम आया, जिसने आधुनिक कर्नेल की नींव रखी। इसके बाद 1990 के दशक में Linux और Windows जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम्स ने अपने-अपने कर्नेल का विकास किया। आज के समय में Linux का Kernel सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है, खासकर सर्वर और एंबेडेड सिस्टम्स में।

Kernel और ऑपरेटिंग सिस्टम का संबंध

Kernel ऑपरेटिंग सिस्टम का कोर हिस्सा होता है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम के बाकी हिस्सों जैसे यूजर इंटरफेस, एप्लिकेशन, और अन्य सर्विसेज़ के साथ समन्वय करता है। एक यूजर जब कोई कमांड देता है, तो यह ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा Kernel तक पहुंचाई जाती है, और फिर Kernel उस कमांड को हार्डवेयर पर लागू करता है। इस प्रक्रिया में Kernel ही मुख्य भूमिका निभाता है।

Kernel को अपडेट और मेंटेन करना

Kernel को समय-समय पर अपडेट करना जरूरी होता है ताकि सिस्टम में नए फीचर्स जोड़े जा सकें और सुरक्षा संबंधी खामियों को दूर किया जा सके। खासकर Linux कर्नेल में ओपन-सोर्स होने के कारण लगातार अपडेट होते रहते हैं, और ये अपडेट सिस्टम की सुरक्षा और प्रदर्शन को बढ़ाते हैं।

FAQ – Kernel Kya Hai

1. क्या मुझे सीधे कर्नेल के साथ बातचीत करने की ज़रूरत है?

आम तौर पर नहीं. ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस (UI) और एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) कर्नेल के साथ बातचीत को संभालते हैं.

2. कर्नेल मोड और यूज़र मोड क्या होते हैं?

कर्नेल मोड में, प्रोग्राम को सिस्टम के सभी संसाधनों तक पूर्ण पहुँच होती है. यूज़र मोड में, प्रोग्रामों को सीमित पहुँच होती है, जो सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है.

3. क्या लिनक्स कर्नेल ओपन-सोर्स है

हाँ, लिनक्स कर्नेल एक ओपन-सोर्स कर्नेल है. इसका मतलब है कि कोड सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है और कोई भी इसे देख, संशोधित और वितरित कर सकता है.

आज आपने क्या सीखा

आज हमने दोस्तों शिखा की Kernel Kya Hai और करनाल कितने प्रकार के होते हैं मैंने आपको विस्तार से बताया अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को शेयर करें और इस वेबसाइट के आर्टिकल और भी पढ़ सकते हो l

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